Crux of movie " Chhichhore " in Hindi
"छिछोरे" (Chhichhore) की कहानी अनिरुद्ध "अन्नी" पाठक (सुशांत सिंह राजपूत) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अधेड़ उम्र का तलाकशुदा आदमी है। उसका बेटा राघव (मोहम्मद समद) एक किशोर है जो इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफल होने के लिए भारी दबाव में है। जब राघव अपने सपनों के कॉलेज में दाखिला नहीं ले पाता, तो वह आत्महत्या का प्रयास करता है। यह घटना अन्नी को अपने कॉलेज के दिनों को अपने दोस्तों के साथ राघव को बताने के लिए प्रेरित करती है।
कहानी 1992 में फ्लैशबैक लेती है, जहां अन्नी और उसके दोस्त कॉलेज जीवन के दबावों से जूझते हैं, पढ़ाई, दोस्ती और रोमांस को संतुलित करते हैं। वे "अन्नी और उसकी गैंग" नामक एक करीबी समूह बनाते हैं (जिस तरह से भारत में कई दोस्त समूहों के उपनाम होते हैं)। फिल्म प्रतियोगिता, स同士िता, असफलता से निपटने और दोस्ती के महत्व जैसे विषयों को खंगालती है।
फ्लैशबैक के माध्यम से, अन्नी राघव को यह समझने में मदद करता है कि सफलता ही सब कुछ नहीं है और परीक्षा में फेल होना दुनिया का अंत नहीं है। फिल्म यात्रा का आनंद लेने, दोस्तों का समर्थन करने और जीवन के अनुभवों से सीखने के महत्व पर जोर देती है। यह लचीलापन और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के महत्व के बारे में एक शक्तिशाली संदेश देता है।
Ok, younger ones , success in exams is not the end of world।
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